Stck.me Interview Series with Dr. Anand Pradhan

Presenting the stck.me Interview Series, where, every week we speak to your favorite creators, and learn about their work and how they are using our platform to enhance their community.

On our eighteenth blog in this series, we speak to Dr. Anand Pradhan, Professor of Journalism at IIMC, New Delhi.

In this interview series, we speak to him about his creative interests, what he majorly writes, his favorite genre when it comes to reading, listening, and looking for content on social media, and his experience with the platform, stck.me, and much more.

जब आपने अपना अकांउट बनाया तो stck.me से आपकी सबसे बड़ी उम्मीद क्या थी?

मैंने कोई बड़ी उम्मीद के साथ इसे यानी “नई राह” को शुरू नहीं किया था. मैं काफी दिनों से एक ऐसे ठिकाने की खोज में था, जहाँ नियमित कुछ लिखा जा सके, जिसमें मुझे कुछ अलग करने और मन से लिखने की जगह मिल सके और जिसे अपने साथी लेखकों-पाठकों से भी आसानी से शेयर कर सकूँ. मुझे stck.me का प्लेटफार्म बहुत आकर्षक लगा. मुझे उसकी डिजाइन, प्रस्तुति और फीचर्स बहुत दिलचस्प लगे जहाँ आप कुछ एक्सपेरिमेंट्स कर सकते थे.

दरअसल, इसे शुरू करते हुए मेरी सबसे बड़ी उम्मीद और कहें तो खुद से अपेक्षा यह थी कि मुझे नियमित कुछ लिखना है. पत्रकारिता के अध्यापन के पेशे में होने के कारण लिखने-पढ़ने में गहरी दिलचस्पी है. लेकिन कई कारणों से इधर नियमित लेखन नहीं कर पा रहा था. stck.me पर एकाउंट खोलते हुए इच्छा यही थी कि कुछ नियमित लिखूं. आखिर जब अपने विद्यार्थियों से रोज लिखने के लिए कहता हूँ तो शिक्षक होने के नाते मुझे खुद भी लिखना चाहिए.

मुझे लगता है कि रोज लिखना-पढ़ना एक आदत की तरह होना चाहिए. यह आपको एक बेहतर लेखक/पत्रकार के साथ एक समझदार आदमी और औरत बनने में मदद करता है. मुझे हिंदी के जाने-माने कवि भवानी प्रसाद मिश्र की यह कविता बहुत पसंद है:      

“कुछ लिखकर सो

कुछ पढ़कर सो

जिस जगह पर जागा

उससे आगे बढ़कर सो.”

आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने में stck.me कितनी सहायक साबित हुई?

मुझे लगता है कि इस सवाल को उलटकर पूछा जाना चाहिए. सवाल यह होना चाहिए कि मैं खुद stck.me की उम्मीदों और अपनी अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरा हूँ. मुझे लगता है कि अपनी उम्मीदों और अपेक्षाओं के 20 फीसदी पर भी खरा नहीं उतरा हूँ. मैं अपनी प्रोफेशनल व्यस्तताओं के कारण शुरूआती उत्साह को बनाए नहीं रख सका. चाहकर भी नियमित नहीं लिख पाता हूँ. लेकिन इसके लिए stck.me ज़िम्मेदार नहीं है.

अलबत्ता,stck.meने खुद को लगातार अपने लेखकों और पाठकों के ज्यादा अनुकूल और बेहतर बनाया है. उसमें कई नए फीचर्स जोड़े हैं और लगातार उसे क्रिएटर्स की जरूरतों के मुताबिक ढाल रहे हैं. सच कहूँ तोstck.meने मुझे इनोवेशन और एक्सपेरिमेंट्स के मामले में सरप्राइज किया है. वह जिस तरह से लेखकों और क्रिएटर्स की हैण्ड-होल्डिंग कर रहा है, उन्हें गाइड कर रहा है और उन्हें प्रेरित कर रहा है, वह तारीफ़ के काबिल है.

आप मुख्य रूप से किस विषय पर लिखते हैं? 

मैं ज्यादातर राजनीति, अर्थव्यवस्था, मीडिया और समाज से जुड़े मुद्दों पर लिखता हूँ. कभी-कभार खेल, सिनेमा और पब्लिक हेल्थ जैसे मुद्दों पर लिखता हूँ. मेरी इच्छा है कि इसपर मैं अपनी यात्राओं के साथ उन लोगों पर भी लिखूं जो मुझे थोड़े अलग दिखे. मैं कुछ अलग विषयों खासकर सुर्ख़ियों से परे उन छोटी और अख़बार के कोने-अंतरे में दबी ख़बरों के अन्दर छुपी खासियत के पहलुओं पर भी लिखना चाहता हूँ. देखते हूँ कि कब शुरू कर पाऊंगा. ग़ालिब कहते हैं- हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले.

हमें अपने सबसे सफल stck.me ब्लॉग्स के बारे में बताएं? आपके पाठकों द्वारा इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया की थी? 

यह कहना मुश्किल है लेकिन मुझे लगता है बिहार विधानसभा चुनावों पर तीन किस्तों में लिखी टिप्पणी और इधर, दुनिया-जहान को भी पाठकों ने पसंद किया. कई पाठकों का कहना है कि मुझे नियमित लिखना चाहिए. कुछ चाहते हैं कि मैं थोड़ा छोटे पीस लिखा करूँ क्योंकि मौजूदा 1800 से 2500 शब्दों के पीस काफ़ी बड़े हो जा रहे हैं. कुछ और चाहते हैं कि मैं लीक से हटकर उन अछूते विषयों पर लिखूं जो आमतौर पर मीडिया के ध्यान से बाहर रहते हैं. 

समय के साथ-साथ stck.me द्वारा नई विशेषताओं को पेश करने के बाद, क्या आपके विचार से प्लेटफॉर्म पर विषय-सामग्री तैयार करना आसान हो पाया है?

बिलकुल. इसमें कोई शक नहीं है कि stck.me लगातार बेहतर और लेखक-पाठक फ्रेंडली हो रहा है. इसमें आप्शन बढ़ते जा रहे हैं-प्रयोग करने के और इनोवेट करने के भी. जैसे, कई बार मेरा मन पाडकास्टिंग शुरू करने का भी करता है. इन सभी आइडियाज के लिए stck.me अच्छा प्लेटफार्म बनता जा रहा है.

टीम के रूप में आप हमें कोई ऐसे सुझाव देना चाहेंगे जिन पर हमें अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए?

मुझे लगता है कि आपको अपने प्लेटफार्म को एक डेमोक्रेटिक, इन्क्लूसिव और विविधतापूर्ण प्लेटफार्म बनाने की ओर बढ़ना चाहिए जिसमें पाठक और लेखक की बराबर की भागीदारी हो. नियमित चर्चाओं के साथ एक मैन्युअल भी तैयार करना चाहिए जो लेखकों और क्रियेटरों के लिए सेल्फ गाइड की तरह हो. फ़ीडबैक का भी सिस्टम बनाना चाहिए. सक्सेस स्टोरीज भी शेयर कीजिए. भारतीय भाषाओँ पर और ज्यादा ध्यान दीजिये.

पढ़ने, सुनने या सामाजिक मीडिया पर खोज करते समय आपके पसंदीदा विषय कौन से हैं?

मैं हर तरह की चीजें पढ़ता हूँ. लेकिन मेरी ज्यादा दिलचस्पी इन-डेप्थ रिपोर्टों और एनालिसिस और ओपिनियन में ज्यादा है.

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